Chemistry Nobel Prize 2023 Winners | केमिस्ट्री में नोबेल प्राइज UPSC GK PDF

Chemistry Nobel Prize 2023 – 4 अक्टूबर 2023 को रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ़ साइंसेज द्वारा वर्ष 2023 के लिए रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Chemistry Nobel Prize 2023) की घोषणा की गई| वर्ष 2023 में अलग-अलग क्षेत्रों में नोबेल प्राइज के लिए 351 उम्मीदवार हैं। 1901 में पहली बार नोबेल प्राइज दिया गया था। इस आर्टिकल में हम वर्ष 2023 में रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Chemistry Nobel Prize 2023) के बारे में पढेंगे|

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Chemistry Nobel Prize 2023 Winners

Chemistry Nobel Prize 2023 Winners
Chemistry Nobel Prize 2023 Winners
  • वर्ष 2023 में रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल प्राइज के लिए माउंगी बावेंडी, लुइस ब्रुस व एलेक्सी एकिमोव को चुना गया|
  • इन वैज्ञानिको को क्वांटम डॉट्स की खोज व इसके संश्लेषण के लिए नोबेल प्राइज दिया जायेगा|
  • माउंगी बावेंडी, लुइस ब्रुस व एलेक्सी एकिमोव अमेरिका के वैज्ञानिक हैं|
  • क्वांटम डॉट्स ऐसे नैनोपार्टिकल्स हैं जो इतने छोटे होते हैं कि उनका आकार उनके गुणों को निर्धारित करता है|

क्वांटम डॉट्स का निर्माण

Chemistry Nobel Prize 2023 – निम्नलिखित 3 चरणों में क्वांटम डॉट्स का निर्माण किया गया|

  1. बावेंडी ने गर्म साल्वेंट में ऐसे मिश्रण को इंजेक्ट किया जिसके द्वारा कैडमियम सेलेनाइड नाम का सेमी कंडक्टर बना
  2. विलयन में मिश्रण के मिलने से छोटे-छोटे क्रिस्टल का निर्माण हुआ तथा इन्हीं क्रिस्टल को क्वांटम डॉट्स नाम दिया गया|
  3. विलयन के ठंडा होने के बाद क्वांटम डॉट्स बनना बंद हो जाता है, इसीलिए बावेंडी ने विलयन को फिर से गर्म किया| विलयन के गर्म होते ही क्रिस्टल फिर से बनना शुरू हो गया|

क्वांटम डॉट्स का उपयोग

Chemistry Nobel Prize 2023 – क्वांटम डॉट्स कई LED लैंप की लाइट में ऐसे पार्टिकल्स जोड़ते हैं, जिनसे बारीक काम करने में आसानी होती है।

  • क्वांटम डॉट्स का इस्तेमाल आज कंप्यूटर मॉनिटर, मोबाइल, टेलीविजन स्क्रीन को रोशन करने के लिए किया जाता है। इसमें QLED तकनीक का इस्तेमाल होता है। क्वांटम डॉट्स की लाइट इतनी तेज होती है कि जब इसे ट्यूमर पर डाला जाएगा, तो सर्जन्स को उसके टिश्यू देखने में कोई परेशानी नहीं होगी।
  • रंगीन लाइट बनाने के लिए भी शोधकर्ताओं ने क्वांटम डॉट्स का इस्तेमाल किया है। नोबेल प्राइज जीतने वाले रसायनज्ञ का मानना ​​है कि भविष्य में क्वांटम डॉट्स फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स, छोटे सेंसर, पतले सोलर सेल और शायद एन्क्रिप्टेड क्वांटम कम्युनिकेशन में योगदान दे सकते हैं।

मैरी क्युरी केमिस्ट्री में नोबेल पुरस्कार

Chemistry Nobel Prize 2023 – पोलैंड में जन्मीं फिजिसिस्ट और केमिस्ट मैरी क्यूरी ने अपने पति पियरे क्यूरी के साथ मिलकर कई साइंटिफिक खोज कीं। 1898 में दो नए तत्व रेडियम और पोलोनियम की डिस्कवरी की घोषणा की। इन तत्वों के शुद्ध नमूनों को अलग करना मैरी के लिए कठिन काम था। कई टन कच्चे ओर (अयस्क) से 1 डेसीग्राम रेडियम क्लोराइड निकालने में 4 चार साल लग गए थे।

1911 में रेडियम और पोलोनियम की खोज के लिए क्यूरी को अपना दूसरा नोबेल प्राइज केमिस्ट्री में मिला था। मैरी क्यूरी को सम्मान मिलने के कुछ साल बाद अमेरिका ने जापान के 2 शहरों पर परमाणु बम गिराए थे। जो बम नागासाकी पर गिराया गया था, उसके डेटोनेटर का एक मुख्य एलिमेंट पोलोनियम भी था। हालांकि क्यूरी परमाणु बम बनाने के प्रोजेक्ट में शामिल नहीं थीं।

वेंकटरमन रामकृष्णन नोबेल प्राइज 2009

Chemistry Nobel Prize 2023 – भारतीय मूल के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक वेंकटरमन रामकृष्णन को 2009 मॉलिक्युलर बायोलॉजी के क्षेत्र में केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने साल 2000 में एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी नाम की एक विधि का उपयोग करके सैकड़ों हजारों परमाणुओं से बने राइबोसोम की संरचना को मैप किया था। इसके जरिए एंटीबायोटिक दवाइयां बनाने में काफी मदद मिली।

किसी भी जीव के शरीर के सभी फंक्शन्स को बड़े और कॉम्प्लेक्स प्रोटीन मॉलिक्यूल्स मैनेज करते हैं। ये सेल के राइबोसोम में बनते हैं। इनकी जेनेटिक इन्फॉर्मेशन को RNA के जरिए एमीनो एसिड की चेन्स में ट्रांसलेट किया जाता है। यही फिर प्रोटीन बनाते हैं। इसी थ्योरी से, उन्होंने एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी के जरिए राइबोसोम का स्ट्रक्चर बनाया।

वेंकटरमन का जन्म 1952 में चिदम्बरम, तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने साइंस की पढ़ाई अमेरिका और ब्रिटेन में की। नोबेल प्राइज के अलावा वेंकटरमन को 2010 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें 2012 में न्यू ईयर्स ऑनर्स लिस्ट में नाइटहुड की उपाधि के लिए चुना गया था।

नोबेल प्राइज के सबसे उम्रदराज विजेता

सबसे अधिक उम्र में नोबेल पुरस्कार जापान के जॉन बी. गुडएनफ ने प्राप्त किया हैं। गुडएनफ 97 साल के थे, जब उन्हें 2019 में केमिस्ट्री के नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया था। वह नोबेल के सभी पुरस्कार क्षेत्र में सम्मानित होने वाले सबसे उम्रदराज विजेता भी रहे।

1980 में जॉन गुडएनफ ने कोबाल्ट ऑक्साइड के कैथोड के साथ एक लिथियम बैटरी विकसित की। कोबाल्ट ऑक्साइड के कैथोड में मॉलिक्यूलर लेवल पर लिथियम आयन्स रख सकते हैं। यह कैथोड पहले की बैटरियों की तुलना में अधिक वोल्टेज देता था। गुडएनफ का योगदान लिथियम-आयन बैटरी के विकास में महत्वपूर्ण था। आज इसका उपयोग मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रिक कारों तक में किया जाता है।

तो इस प्रकार से हमने वर्ष 2023 में रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Chemistry Nobel Prize 2023) विजेताओं के बारे में पढ़ लिया है| आशा करते हैं कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा|

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